जीवन सबसे बड़ा उपहार है और उस जीवन को चलायमान बनाए रखना मनुष्य की अपनी जिम्मेदारी है।
अगर कोई मनुष्य अपनी जिंदगी को चलायमान बनाए रखने के लिये उद्यम नहीं करता तो उसका यह उपहार उसके लिए रुकावट बनने में देर नहीं लगाएगा। इसलिये जीवन को अर्थवान बनाए रखना मनुष्य का अपना कर्तव्य है। जीवन जितना देता है उतना लेता भी है
अगर कोई मनुष्य अपनी जिंदगी को चलायमान बनाए रखने के लिये उद्यम नहीं करता तो उसका यह उपहार उसके लिए रुकावट बनने में देर नहीं लगाएगा। इसलिये जीवन को अर्थवान बनाए रखना मनुष्य का अपना कर्तव्य है। जीवन जितना देता है उतना लेता भी है
0 comments: