Monday, August 13, 2018

निरथर्क जीवन

जीवन सबसे बड़ा उपहार है और उस जीवन को चलायमान बनाए रखना मनुष्य की अपनी जिम्मेदारी है।
अगर कोई मनुष्य अपनी जिंदगी को चलायमान बनाए रखने के लिये उद्यम नहीं करता तो उसका यह उपहार उसके लिए रुकावट बनने में देर नहीं लगाएगा। इसलिये जीवन को अर्थवान बनाए रखना मनुष्य का अपना कर्तव्य है। जीवन जितना देता है उतना लेता भी है

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