साहसी बनो
वीरता के साथ आगे बढ़ो। एक दिन या एक साल में सफलता की आशा न रखो। उच्चतम आदर्श पर दृढ़ रहो। स्थिर रहो। स्वार्थपरता व ईर्ष्या से बचो। आज्ञापालक बनो। सत्य, मानवता और अपने देश के प्रति चिर काल तक निष्ठावान बने रहो, तुम संसार जो हिला दोगे। याद रखो-व्यक्ति और उसका जीवन ही शक्ति का स्रोत है, इसके अतिरिक्त अन्य कुछ भी नही।
स्वामी विवेकानन्द
0 comments: